◆संज्ञा एक विकारी शब्द है।
◆किसी प्राणी,वस्तु,स्थान या भाव आदि के नाम बताने वाले शब्दों को संज्ञा कहते है।
◆संक्षेप में संज्ञा का अर्थ है- "नाम" इसलिए नाम बतानेवाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं।
◆प्रत्येक वस्तु की पहचान उसके नाम से ही होती है।क्योंकि प्रत्येक वस्तु कोई-न-कोई नाम अवश्य होता है। अतः हम वस्तुओं को उनके नामों से ही पहचानते हैं।
उदा:-
१)गोपाल पाठ पढ़ता है।
२)सरोजा गाना गाती है।
३)ताजमहल बहुत सुंदर है।
इन वाक्यों में "गोपाल", "सरोजा", "ताजमहल " आदि संज्ञाएँ हैं।
★संज्ञा के भेदः-◆प्रत्येक वस्तु की पहचान उसके नाम से ही होती है।क्योंकि प्रत्येक वस्तु कोई-न-कोई नाम अवश्य होता है। अतः हम वस्तुओं को उनके नामों से ही पहचानते हैं।
उदा:-
१)गोपाल पाठ पढ़ता है।
२)सरोजा गाना गाती है।
३)ताजमहल बहुत सुंदर है।
इन वाक्यों में "गोपाल", "सरोजा", "ताजमहल " आदि संज्ञाएँ हैं।
संज्ञा मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं।
☆व्यक्तिवाचक संज्ञा
☆जातिवाचक संज्ञा
☆भाववाचक संज्ञा
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